आप का ऩजरें झुकाना आज हमको याद है।
चंद पल का मुस्कुराना आज हमको याद है ।।
देख कर भी कुछ न कहना देखते रहना सदा।
बिन कहे सब कुछ जतानाआज हमको याद है ।।
धूप में छत पर टहलना देखना घर को मेरे।
बेव़जह खिड़की पे’आनाआज हमको याद है ।।
ख़त बनाकर भेजने की कोशिशें बेकार थी।
दूर से ख़त को दिखाना आज हमको याद है ।।
राह जाते देख कर के दूर जाते थे कभी।
पास आने का बहाना आज हमको याद है ।।
रात में करवट बदलना नींद का आना नही।
भोर में सपने सजाना आज हमको याद है।।
बात सुन अमिताभ मेरी और कुछ कहना नहीं ।
याद में आंसू बहाना आज हमको याद है ।।
- अमिताभ पाण्डेय
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