एक दिन तू आएगा ज़रूर

तू तो अलग ही मिट्टी का बना था वतन परस्ती के इश्क़ में रमा था तेरी तो बस इतनी सी दास्तान है तेरे महबूब का नाम हिन्दुस्तान है   ऐशो आराम ,रेशमी लिबास कहाँ तूने तो बस चुना तिरंगे का कफ़न वतन की शान जिसकी पहचान उस वीर को हमारा शत शत नमन   एक सवाल… तेरे बलिदान से मुल्क में क्या बदला? सब कुछ तो अब भी पहले जैसा है चौराहे की मूर्ति बन तू रह गया सबसे क़ीमती आज भी बस पैसा है   माँ तो आज भी तेरी राह तकती है बाप की आँखों से उदासी झलकती है बहन ससुराल गई फिर भी वो उदास हैं राखी से तेरी कलाई सजाने की आस है   तेरी सोहनी आज भी ख़ूब सँवरती हैं उसे आज भी तेरे आने का इंतज़ार है लौटकर वापस कभी ना आएगा तू मानने को ये बात क़तई न तैयार है   तू तो ज़मीनी रिश्तों से मुँह मोड़ गया अपनों को दिया हर वादा तोड़ गया कभी वहाँ से ज़रा झाँक के तो देख सिक्के के दूसरे पहलू को आंक के तो देख   माँ ने अभी अभी चूल्हा जलाया है तेरे हिस्से की रोटी प्यार से पकाया है छोटी सी इल्तजा है एक बार तो आजा माँ के हाथों से दो निवाला तो खा जा   मोतियाबिंद बाप की आँखे निगल रही है उसे अपना वर्दी वाला रूप तो दिखा जा सोहनी आज भी लाल जोड़ा पहने बैठी है सूनी माँग उसकी एक बार तो सजा जा वतन का हर फ़र्ज़ तो अता किया तूने बाक़ी रह गये इन क़र्ज़ों को भी चुका जा   मुझे यक़ीन है … तेरा गाँव तुझे बुलाएगा ज़रूर तू अपनों से मिलने आएगा ज़रूर   हवा के झोंके संग, ओस की बूंदें बन खेतों की हरियाली में, शाम की लाली में घटाओं में ढल, बारिश की बूंदों में बदल अपने गाँव में बरस जाने खेतों की मिट्टी में समा जाने अपनों की प्यास बुझा जाने मुझे यक़ीन है तू आएगा बारिश की बूंदों संग ज़रूर आएगा   श्वेता सिंह ‘उमा’ मास्को, रुस

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नातेदार

आफिस का कार्य खत्म हो गया था दिव्यांश वापसी के लिए मुम्बई से दिल्ली आने की तैयारी करने लगा। प्रातः 5.45 पर मुम्बई वी.टी. से ट्रेन पकड़नी थी। होटल मैनेजर से ज्ञात हुआ कि सुबह 6 बजे के बाद ही आटो या टैक्सी रेलवे स्टेशन तक जाने के लिए मिलेगी। काफी सोच-विचार करने के बाद दिव्यांश ने निर्णय लिया कि अगर वह रात में ही रेलवे स्टेशन चला जाए तो बेहतर रहेगा। सारा सामान लेकर वह स्टेशन पर आ गया। वेटिंग रूम में पहुँचने पर वेंटिग रूम के इंचार्ज ने…

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डाइरी के पन्नों से

तकरीबन 15 रोज हो गए हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई,यूँ तो ज़िंदगी ऊपर से बिलकुल सहज है मगर अंदर बहुत कुछ दरक गया है…..16 साल….एक युग कहलाता है…..इन 16 सालों में क्या क्या नही गुज़र गया….अब तो बच्चे भी बड़े हो गए हैं।तुमने एक बार कहा तो होता कि तुम्हारी ज़िंदगी में कोई धीरे धीरे मेरी जगह ले रहा है। ऐसी क्या कमी थी मेरे प्यार,विश्वास एउम समर्पण में….गर सोचने बैठू तो दिमाग की नसें फटने लगती हैं। उफ कितनी शातिरता से तुम दोनों तरफ रिश्ते निभाते रहे…किसी को…

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हारने से पहले

टिप….टिप…. टिप…..टपकती हुई गुल्कोज की बूंदें पिछले चार दिनों से लगातार मेरे शरीर में प्रवेश कर रही थी। इसके अलावा जाने कितनी दवाइयां, इंजेक्शन, विटामिन, प्रोटिन मेरे शरीर में जा रहे थे पर शरीर पर इनका कोई असर महसूस नहीं हो रहा था। बैचैन मन , अशक्त शरीर, उबाऊ दिनचर्या, गमगीन माहौल जीवन को निरन्तर मौत की ओर धकेल रहे थे। पी पी कीट पहने डॉक्टर…. नर्स…. और वार्ड बॉय….इस तनाव , उदासी को कम  करने में असमर्थ लग रहे थे। चारों ओर शोक ही शोक पसरा था। जाने कितने…

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ट्यूशन

अभिषेक ग्यारहवीं के छमाही परीक्षा में फेल हो गया | हालांकि इस परीक्षा का कुछ तत्कालीन प्रभाव नहीं होता और असली परीक्षा तो फ़ाइनल का ही माना जाता है लेकिन अभिषेक के परिवार वालों के लिए यह एक बड़ी दुर्घटना थी | क्योंकि हाईस्कूल टॉप करने के बाद अभिषेक से और बेहतर करने की उम्मीद थी | परिवार वालों की उदासी देखकर पड़ोसियों ने भी ताड़ लिया कि मामला क्या है | फलस्वरूप वो भी बहुत दुःखी हो गए क्योंकि पिछले सात महीने से अभिषेक का उदाहरण दे कर वो अपने लड़कों को पढ़ाई-लिखाई के लिए खूब कोस रहे थे,खास कर जब उन लोगों के बच्चे…

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मिस यू पापा

रीना ने जल्दी-जल्दी सुबह का काम निपटाया और बेटे को स्कूल भेज दिया। पतिदेव की तबियत कुछ ठीक नहीं थी, इस लिए वो अभी सो ही रहे थे। इत्मिनान से अपनी चाय ली और किचन के दरवाजे पर ही बैठ गई; क्यों कि आज फिर से आँगन में कुछ गौरैया आयी थीं। वो चहकते हुए इधर-उधर फुदक रही थीं और वह नहीं  चाहती थी कि उसकी वजह से वो सब उड़ जाएँ, इस लिए वहीं बैठ कर उनको देखते हुए चाय पीने लगी। उसने धीरे से हाथ बढ़ा कर पास…

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