बौद्ध कालीन भाषिक परिवेश एवं भाषागत विविधताएं

शोध सारांशिका-भाषा किसी भी कालखंड में किसी भी समाज के द्वारा विचारों के आदान-प्रदान का एक सशक्त साधन है । जब हम अपनी अभिव्यक्ति यों को समृद्ध करते हुए अनुभूति को उसमें समाहित कर के जनसामान्य तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं, तो उसके लिए भाषा अत्यंत प्रभावशाली माध्यम माना जाता है । हमारे द्वारा अपनाए गए शब्द हमारा परिचय और हमारा पहचान देते हैं। हम यह मानते हैं कि भाषा के द्वारा ही किसी भी कालखंड की परंपराओं को रीति रिवाज को मान्यताओं को जाना जा सकता है, पहचाना…

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दरकता अमेरिकी लोकतंत्र और भारत की उम्मीदें

( भविष्य में भारत- अमेरिका संबंध बिडेन प्रशासन के तहत कैसे रहेंगे ये अभी भविष्य के गर्त में है.भारत को संवेदनशील मुद्दों पर कड़ी बातचीत करने के लिए तैयार रहना चाहिए। कोविद-19 संक्रमणों के नियंत्रण और आर्थिक सुधार के साथ संयुक्त, अमेरिका फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक विकास प्रदान कर सकता है. भारत जैसे देशों को अपने निर्यात को बढ़ावा देने और बढ़ने की आवश्यकता है.  नए दौर में दोनों देशों को सामरिक आयाम के साथ आर्थिक और वाणिज्यिक आयाम को अधिक प्राथमिकता के साथ व्यवहार करना चाहिए )…

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मुआवजा

भुखमरी से मौत की खबर निरी अफवाह के सिवा कुछ नहीं लगती थी। खाद्यमंत्री ने पिछले सत्र में सदन के समक्ष रिकार्ड तोड़ खाद्यान्‍न होने की घोषणा की थी। विरोधी दलों का दुष्‍प्रचार या शरारती तत्‍वों की खुराफात भी हो सकती है। आज के जमाने में भूख से कौन मरता है? जरा सी मेहनत करके कमाया-खाया जा सकता है। काम करने वालों के लिए काम की कमी नहीं है। मरियल से मरियल रिक्‍शे वाले तक कमा-खा रहे हैं। चुनाव सर पर था। विधायक जी यहॉं से लगातार दो बार चुने…

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अनेकता में एकता का स्वर है- हिंदी

हिंदी हिंदुस्तान की भाषा है।हिंदी भारत देश की मातृभाषा है और अनेकता में एकता का स्वर है हमारी हिंदी।  इसका सम्मान करना हम सब देशवासियों का कर्तव्य है। दुनिया भर में हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है लेकिन भारत देश की मातृभाषा हिंदी दिवस 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाते है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जो सारे देश को एक सूत्र में बांधती हैं आज भी कई जगह इसका विरोध हो रहा है। आज भी हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा…

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हिन्दी: केवल भाषा ही नहीं बल्कि पूर्ण संस्कृति

सृष्टि के संचालन में संचार की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है अतः संचार के माध्यम का सशक्त होना अति आवश्यक है। जब दो असमान तत्वों के बीच संचार होता है तो उसका माध्यम अनुभव या भाव-भंगिमा इत्यादि हो सकते हैं। जब समान तत्वों के बीच संचार की बात होती है,  विशेष तौर से मनुष्य में, तब भाषा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यही कारण है कि शिशु से भी संवाद करते समय व्यक्ति अपनी मूल भाषा का प्रयोग करता है। शिशु को भले ही वर्णमाला का ज्ञान ना हो किंतु निरंतर…

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महामारी,साहित्य एवं समाज

साहित्य और समाज मानव जीवन के ऐसे दो कड़ी हैं जो हर स्थिति और परिस्थिति में मानव मूल्यों की रक्षा करने, जनकल्याण कार्यों को दिशा देने,विश्व को सही राह दिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।ये अभी से नहीं सदियों से चला आ रहा है। जब जब मानव मूल्यों में गिरावट, सृष्टि के जीवों में संकट और नकारात्मक विचारों वाले लोग हावी होने के प्रयास किये,या स्वार्थी लोगों के कुत्सित प्रयास हुए हैं, साहित्य और समाज उठ खड़ा हुआ है।अपने जिम्मेदारियों का इन दोनों कड़ियों ने पूरी ईमानदारी से निर्वहन किया है।साहित्य…

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