साथी

पति की असामयिक मृत्यु के कारण रामकली के आर्थिक हालात बहुत खराब हो गए थे| जो मजदूरी करके कमा खा लेती थी वो काम धंधा भी लॉकडाउन के कारण कभी कभार ही मिलता था जिससे कभी सूखी रोटी और कभी रुखे चावलों का जुगाड़ हो जाता था| इतने पर भी उसका भगवान पर विश्वास रत्ती भर भी कम नही हुआ था और वह सबकी मदद को हमेशा तैयार रहती थी|

अभी कल की ही बात है काम से लौटते वक्त सड़क पर एक बेहोश आदमी पड़ा मिल गया| पहले तो उसने उसे होश में लाने की कोशिश की परन्तु जब उसे होश नही आया तो किसी तरह उसे घर ले आई, फिर झटपट जाकर डॉक्टर को बुला लाई| डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाया और दवाई देते हुए कहा बहुत कमजोरी है ख्याल रखना | रामकली ने पड़ोसियों से उधार लेकर डॉक्टर की फीस और दवाई का इन्तजाम किया|थोड़ी देर बाद ही उस व्यक्ति को होश आ गया, तब रामकली ने उसे सारी बात बतायी| जिसे सुनकर उस व्यक्ति ने बताया कि वह एक व्यापारी है और कहने को वह दो पुत्रों का पिता भी है पर दोनों ने ही उसे अकेला छोड़ दिया है और विदेश में स्थापित हो गए है| पत्नी का देहान्त हो चुका है और वह अपने बड़े घर में अकेला रहता है| यह सुनते ही रामकली ने भी अपनी दुख भरी कथा कह सुनायी कि कैसे उसके एकमात्र पुत्र ने उसके पति के देहान्त के बाद उसे अपने ही घर से धक्के देकर बाहर निकाल दिया और अब वह कैसे यहाँ रहकर अपना गुजारा कर रही है| सब सुनने के बाद उस व्यक्ति ने रामकली से पूछा, “क्या वह उसके साथ उसके घर में रहना पसंद करेगी?” रामकली ने चुपचाप हाँ में सिर हिला दिया| दोनों को अपना साथी मिल चुका था|

 

 

  • अरुणा कुमारी राजपूत ‘राज’

शिक्षिका – हापुड़ ( उ०प्र०)

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