पावस ऋतु भीगे गाँव हमारे भीगे चौबारे * सावन झूला रिमझिम बुंदियाँ झूलें गुइंयाँ * मेघ सींचते प्रकृति और प्यार राग मल्हार * बदरवा में बिजुरी चमचम धमकधम * रजनीगन्धा महके रातरानी जूही दिवानी * शेफाली गुच्छ खिल उठते सुन रागश्री धुन – नीलम वर्मा
Read Moreहिन्दी साहित्य की अंतरराष्ट्रीय त्रैमासिक ई-पत्रिका ISSN: 2436-5017