जब भी हयात आब को बिसयार देती है माँ की दुआ इलाह को ललकार देती है रुलाये ख़्वाब भी ना कोई उसके बच्चे को जब माँ सुलाती है तो वो, थुथकार देती है पल भर में भूल जाता है वो अपने दर्द को माँ देख कर यूँ बच्चे को पुचकार देती है बेरोज़गारी तो यूँ ही बदनाम फिरती है फिलहाल रोजगार भी अफ़कार देती है कुर्सी के आस-पास अगर पहुँचे अर्ज़ियाँ तो मेज पे दबा भी ये सरकार देती है ~ तान्या सिंह गोरखपुर, उत्तर-प्रदेश
Read More