गीत

अपनेपन के प्रबल भाव से,सराबोर परिवार रहे। बजे जीत का बिगुल सदा ही,नहीं हृदय में हार रहे।।   खिड़की कहती धरती देखो,जहाँ उजाला स्याह नहीं। करना ज्यादा उछल कूद मत,सड़क कटी यह राह नहीं। फूँक फूँक कर कदम बढ़ें सब,अम्बर तक विस्तार रहे।।1   विषम परिस्थितियों में भी प्रिय,अपने पथ पर डटे रहो घर की दीवारें कहती हैं,अपनों से मत कटे रहो पथ प्रशस्त जो करे सभी का,उसी मन्त्र को गढ़े रहो हर मुश्किल को सरल करें जो,कर में वह हथियार रहे।।2   अपने अंक समेट सभी के,सुख दुख भी…

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